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Retro Movie Review

Retro Movie Review: सूर्या की ‘रेट्रो’ कितनी दमदार निकली?

 

साउथ सिनेमा के फैंस के लिए सूर्या की हर फिल्म किसी त्योहार से कम नहीं होती। इस बार डायरेक्टर कार्तिक सुब्बाराज के साथ उनकी नई फिल्म ‘Retro’ आई है, जो एक गैंगस्टर लव स्टोरी है। पोस्टर और ट्रेलर देखकर उम्मीदें काफी बढ़ गई थीं। लेकिन क्या ये फिल्म इन उम्मीदों पर खरी उतरती है? आइए, इस retro movie review में जानते हैं।

कहानी की शुरुआत दिलचस्प है

फिल्म की शुरुआत होती है पारीवेलकन्नन यानी पारी (सूर्या) से, जिसे एक अनाथ के रूप में दिखाया गया है। उसके शरीर पर त्रिशूल का निशान है और उसके अंदर एक मकसद है जिसे वो खुद नहीं समझता, लेकिन धीरे-धीरे सब कुछ सामने आता है।

पारी को गोद लेती हैं संध्या (स्वास्तिका) और उनका गैंगस्टर पति तिलगन (जोजू जॉर्ज)। तिलगन को ये गोद लिया बेटा बिल्कुल पसंद नहीं आता। उसकी नफरत और ठंडे बर्ताव के बीच पारी बड़ा होता है – चुपचाप, उदास और अकेला। मां की मौत के बाद हालात और बिगड़ जाते हैं। लेकिन एक दिन कुछ ऐसा होता है जिससे तिलगन को पारी की ताकत का अंदाज़ा होता है और वह उसे अपनाने लगता है।

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प्यार और बदलाव की कहानी

कहानी में टर्न आता है जब पारी की ज़िंदगी में रुक्मिणी (पूजा हेगड़े) की एंट्री होती है। दोनों की मुलाकात होती है कूर्ग में, 14 साल बाद। दोनों अपनी-अपनी मां के ग़म में डूबे हुए होते हैं और वहीं से उनकी लव स्टोरी शुरू होती है।

चार साल साथ रहने के बाद, पारी में बड़ा बदलाव आता है। वो अब एक शांत, सुलझा हुआ इंसान बन गया है जो गैंगस्टर की दुनिया छोड़ना चाहता है। लेकिन क्या ऐसा मुमकिन है? क्या जिसे खून और हिंसा की आदत पड़ चुकी हो, वो एक आम ज़िंदगी जी सकता है?

डायरेक्शन और स्टाइल के बारे में

डायरेक्टर कार्तिक सुब्बाराज ने इस फिल्म में अपने स्टाइल की छाप छोड़ी है। फिल्म का ओपनिंग सीन – एक 15 मिनट का सिंगल-शॉट सीन – बेहद प्रभावशाली है। खासकर ‘Kanima’ गाने के साथ जो ऐक्शन सीक्वेंस दिखाए गए हैं, वो काबिल-ए-तारीफ हैं।

लेकिन जैसे-जैसे फिल्म आगे बढ़ती है, कहानी थोड़ी फैलने लगती है। कभी फ्लैशबैक, कभी रोमांस, कभी गैंगस्टर ड्रामा – सब कुछ एक साथ दिखाने की कोशिश की गई है। इस वजह से फिल्म की पकड़ थोड़ी कमजोर हो जाती है।

 

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एक्टिंग परफॉर्मेंस की बात करें तो…

सूर्या हमेशा की तरह अपने रोल में जान डाल देते हैं। पारी के रोल में उनका ट्रांजिशन – एक शांत लड़के से एक खतरनाक गैंगस्टर तक – काफ़ी इमोशनल और दमदार है।

जोजू जॉर्ज ने एक स्ट्रॉन्ग लेकिन इमोशनलेस बाप का रोल बख़ूबी निभाया है। पूजा हेगड़े का रोल थोड़ा सीमित है, लेकिन जितना स्क्रीन टाइम मिला, उसमें उन्होंने अच्छा काम किया है।

फिल्म की खास बातें और कमज़ोर पहलू

फिल्म की सबसे बड़ी ताकत है इसकी सिनेमैटोग्राफी और बैकग्राउंड स्कोर। कैमरा वर्क और लोकेशन्स बेहद खूबसूरत हैं। कई सीन ऐसे हैं जो लंबे समय तक याद रहेंगे।

लेकिन इसकी लंबाई (करीब 2 घंटे 48 मिनट) और कुछ अनावश्यक सबप्लॉट्स इसे बोझिल बना देते हैं। ऐसा लगता है कि डायरेक्टर बहुत कुछ एक ही फिल्म में दिखाना चाहते थे, जिससे इमोशनल कनेक्शन थोड़ी देर बाद टूटने लगता है।

तो कुल मिलाकर…

‘Retro’ एक ऐसी फिल्म है जो शानदार शुरू होती है, लेकिन धीरे-धीरे अपने ही प्लॉट में उलझ जाती है। सूर्या और जोजू की परफॉर्मेंस कमाल की है, पर स्क्रिप्ट थोड़ी और टाइट होती तो यह फिल्म और गहरा असर छोड़ती। फिर भी, अगर आप सूर्या के फैन हैं या साउथ इंडियन गैंगस्टर ड्रामा पसंद करते हैं, तो ये फिल्म एक बार देखी जा सकती है।

 

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